प्रकाशितवाक्य 1—11
अपने स्पष्ट चित्रकारी और अत्याधिक प्रतीकात्मक संकेतों के प्रयोग के साथ प्रकाशितवाक्य की पुस्तक बेहतरीन मसीही विद्वानों के लिए एक व्याख्यात्मक चुनौती पेश करती है। परन्तु डेविड एल. रोपर ने प्रकाशितवाक्य पर दो अंकों वाली अपनी इस पुस्तक के बेहद सहायक और समझने में आसान अध्ययन दिया है। इस कोर्स में उन्होंने एक रोमांचकारी अध्ययन में जो पाठक को मसीह में विजय पर ले आनन्दित होने तक ले जाता है, उन्होंने अध्याय 1 से 11 को कवर किया है। रोपर ने आरम्भ बहुत अच्छे परिचय के साथ किया है। पृष्ठभूमि के मुद्दों और व्याख्या के विभन्न ढंगों और संकेतों के प्रयोग को समझाया गया है। अपनी टिप्पणियों में उन्होंने पहली सदी के सताव सहने वाले मसीहियों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की झलक देने के लिए, पुस्तक से उन्हें मिलने वाले आत्मिक प्रोत्साहन पर ज़ोर देते हुए पाठक को चुनौती दी है। रोपर ने उस कोरे अनुमान की भी कुछ बात की है जो आज प्रकाशितवाक्य की पुस्तक के बारे में पाया जाता है।